Viduthalai Part 2 (विदुथलाई पार्ट 2) रिव्यू: विजय सेतुपति की दमदार परफॉर्मेंस या एवरेज मूवी?

फिल्मों के शौकीन लोगों के लिए विदुथलाई पार्ट 2 (Viduthalai Part 2) का बेसब्री से इंतजार था। पहली फिल्म के बाद से ही दर्शकों में उत्सुकता बनी हुई थी। विजय सेतुपति (Vijay Sethupathi) जैसे कलाकार की मौजूदगी ने इस फिल्म को और भी खास बना दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरी? या यह सिर्फ एक एवरेज फिल्म बनकर रह गई?


कहानी की शुरुआत

विदुथलाई पार्ट 2 की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पार्ट 1 खत्म हुआ था। फिल्म की पूरी कहानी समाज में चल रहे कंफ्लिक्ट्स (conflicts) और नक्सल मूवमेंट (Naxal Movement) के इर्द-गिर्द घूमती है। डायरेक्टर वेत्रिमारन (Vetrimaaran) ने इस बार भी अपनी खास स्टाइल से फिल्म को प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहानी को एक जटिल लेकिन प्रभावशाली (impactful) तरीके से दिखाने की कोशिश की है।

फिल्म में जंगल, गांव और सरकार के बीच का संघर्ष (conflict) मुख्य फोकस है। नक्सल मूवमेंट और सरकार के बीच जो विवाद होता है, उसे इमोशनल (emotional) एंगल देकर कहानी को ज्यादा गहराई दी गई है।


विजय सेतुपति का किरदार

विजय सेतुपति ने एक बार फिर अपने शानदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने की कोशिश की है। उनका किरदार पेरुमल एक रहस्यमय (mysterious) मास्क मैन है। फिल्म में उनका स्क्रीन टाइम सीमित (limited) है, लेकिन जहां भी वह स्क्रीन पर आते हैं, अपनी छाप छोड़ते हैं।

हालांकि, कुछ जगहों पर उनकी परफॉर्मेंस थोड़ी फ्लैट (flat) लगती है। उनके डायलॉग्स (dialogues) में वह इंटेंसिटी (intensity) नहीं दिखती जो पहले भाग में थी।


सूरी का नरेशन (Narration)

फिल्म में सूरी (Suri) ने एक पुलिस इंस्पेक्टर का रोल निभाया है। उनकी नजर से ही दर्शक कहानी को समझते हैं। उनका किरदार कहानी को नरेट (narrate) करता है, लेकिन इस बार उन्हें ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं दिया गया। उनकी भूमिका एक वॉयसओवर (voiceover) तक सीमित रह गई, जो फिल्म का कमजोर पक्ष (weak point) माना जा सकता है।


कहानी का कंफ्लिक्ट

फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट (plus point) है इसका कंफ्लिक्ट। सरकार, पुलिस और नक्सल मूवमेंट के बीच का विवाद बहुत रियलिस्टिक (realistic) तरीके से दिखाया गया है।

  1. सरकार बनाम नक्सल्स (Government vs Naxals):
    सरकार का मकसद डेवलपमेंट (development) करना है, लेकिन इसके लिए उन्हें जंगल और गांवों को उजाड़ना पड़ता है। वहीं, नक्सल्स अपनी जमीन और लोगों की सुरक्षा के लिए लड़ते हैं।
  2. पुलिस का रोल:
    फिल्म में पुलिस को अलग-अलग नजरिए से दिखाया गया है। कुछ पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाते हैं, तो कुछ पावर (power) का गलत इस्तेमाल करते हैं। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और गांव वालों पर अत्याचार जैसी घटनाओं को बहुत इंटेंस (intense) तरीके से दिखाया गया है।

डायरेक्शन और सिनेमैटोग्राफी

डायरेक्टर वेत्रिमारन ने इस बार भी अपनी खास स्टाइल से दर्शकों को कहानी में बांधने की कोशिश की। जंगल और नेचर को बहुत ही खूबसूरती से फिल्माया गया है। पहली फिल्म की तरह ही इस बार भी लोकेशन्स (locations) बेहद रियल लगती हैं।

लेकिन, मेकअप और विजुअल इफेक्ट्स (visual effects) पर ध्यान नहीं दिया गया। विजय सेतुपति की विग (wig) और मेकअप काफी कमजोर नजर आते हैं, जो फिल्म के प्रोडक्शन वैल्यू (production value) को कम कर देते हैं।


वॉयलेंस और इमोशंस का तालमेल

फिल्म में वॉयलेंस (violence) और इमोशंस (emotions) का संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। लेकिन कई बार वॉयलेंस को इतना ज्यादा दिखाया गया कि इमोशंस दब जाते हैं।

  • नक्सल्स का पक्ष:
    फिल्म दिखाती है कि नक्सल मूवमेंट सिर्फ वॉयलेंस नहीं है, इसके पीछे गहरे इमोशंस और पर्सनल लॉसेस (personal losses) हैं।
  • पुलिस का अत्याचार:
    फिल्म में पुलिस द्वारा किए गए अत्याचारों को बहुत ही ग्राफिक (graphic) तरीके से दिखाया गया है।

पार्ट 1 बनाम पार्ट 2

जहां पार्ट 1 में दर्शकों को हर सीन में इंट्रिग (intrigue) और सस्पेंस (suspense) महसूस हुआ, वहीं पार्ट 2 इस मामले में थोड़ा कमजोर साबित होती है।

  1. पार्ट 1 की गहराई:
    पहले भाग में कहानी की गहराई ज्यादा थी। इमोशंस और सस्पेंस दोनों का सही तालमेल था।
  2. पार्ट 2 का फोकस:
    दूसरा भाग ज्यादा डायलॉग-बेस्ड (dialogue-based) है। इसमें विजय सेतुपति के किरदार को फोकस किया गया है, जिससे कहानी का नरेटिव (narrative) थोड़ा भटकता है।
viduthalai part 2 review

फिल्म का संदेश

फिल्म एक गहरा संदेश देने की कोशिश करती है कि वॉयलेंस (violence) किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। हालांकि, कहानी यह भी दिखाती है कि जब लोग अन्याय (injustice) से तंग आ जाते हैं, तो वॉयलेंस उनकी आखिरी उम्मीद बन जाती है।


कमजोर पक्ष

  • स्क्रीन टाइम की कमी:
    सूरी को नरेशन तक सीमित रखना एक बड़ी कमी है।
  • मेकअप और प्रोडक्शन:
    मेकअप पर ध्यान न देना फिल्म का प्रोडक्शन वैल्यू कम करता है।
  • पेसिंग (Pacing):
    फिल्म की पेसिंग कहीं-कहीं स्लो हो जाती है, जिससे दर्शक का ध्यान भटक सकता है।

क्या यह फिल्म हिट है या फ्लॉप?

फिल्म का कंटेंट (content) अच्छा है, लेकिन यह मास ऑडियंस (mass audience) को लुभाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाई। पार्ट 1 की तुलना में यह फिल्म कमजोर है, लेकिन विजय सेतुपति के फैंस (fans) के लिए यह जरूर एक बार देखने लायक है।


अंतिम राय

विदुथलाई पार्ट 2 एक इंटेंस फिल्म है, जो समाज के काले पहलुओं को उजागर करती है। लेकिन यह फिल्म उतनी प्रभावशाली नहीं है जितनी पार्ट 1 थी।

मेरा स्कोर:

  • पार्ट 1: 4/5
  • पार्ट 2: 2.5/5

फिल्म को एक बार जरूर देखें, लेकिन ज्यादा उम्मीदें न रखें। अगर आपने पार्ट 1 देखा है, तो इसे देखना आपके लिए जरूरी है ताकि कहानी पूरी हो सके।

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