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कंगना रनौत की बहुप्रतीक्षित फिल्म “EMERGENCY” आखिरकार रिलीज हो गई है। यह फिल्म कई कारणों से चर्चा में रही—कभी इसकी पॉलिटिकल बैकग्राउंड को लेकर, तो कभी कंगना की पर्सनल इमेज को लेकर। फिल्म में कंगना ने इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है और इसे खुद डायरेक्ट भी किया है।
क्या यह फिल्म दर्शकों के समय और पैसे के लायक है? क्या कंगना ने एक बार फिर अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया है? आइए, जानते हैं इस मूवी का पूरा रिव्यू।
फिल्म की कहानी (Storyline of the Film)
“EMERGENCY” नाम से ऐसा लगता है कि यह पूरी फिल्म सिर्फ 1975 में लागू हुई आपातकाल (Emergency) पर आधारित होगी। लेकिन यह सिर्फ आपातकाल के इवेंट्स तक सीमित नहीं है। फिल्म की कहानी इंदिरा गांधी के पूरे जीवन को दिखाने की कोशिश करती है।
कहानी में क्या दिखाया गया है?
- इंदिरा गांधी का शुरुआती जीवन (Early Life):
- फिल्म में इंदिरा गांधी के बचपन और उनके पारिवारिक रिश्तों को भी छुआ गया है।
- उनके पर्सनल स्ट्रगल्स और ट्रॉमाज़ (Traumas) को भी दिखाया गया है, जैसे उनके पति के साथ रिश्ते और पारिवारिक दबाव।
- आपातकाल (Emergency):
- आपातकाल के इवेंट्स को फिल्म में शामिल किया गया है। हालांकि, यह फिल्म सिर्फ आपातकाल पर आधारित नहीं है।
- इसमें इंदिरा गांधी की पॉलिटिकल स्ट्रैटेजीज (Political Strategies) और उनके फैसलों को भी दिखाया गया है।
- राजनीतिक फैसले और उनके प्रभाव (Political Decisions and Their Impact):
- फिल्म में शिमला समझौता (Shimla Pact), ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star), और भिंडरवाले से जुड़ी घटनाओं को छुआ गया है।
- इन फैसलों के पीछे की उनकी मानसिकता और संघर्ष को बेहतरीन तरीके से पेश किया गया है।
कंगना रनौत का परफॉर्मेंस (Kangana Ranaut’s Performance)
इंदिरा गांधी के किरदार में कंगना:
कंगना ने इंदिरा गांधी के किरदार को पूरी शिद्दत से निभाने की कोशिश की है।
- शानदार अभिनय:
- कंगना ने इंदिरा गांधी की बॉडी लैंग्वेज, हावभाव और बोलने के तरीके को बखूबी अपनाया है।
- उनकी परफॉर्मेंस इतनी दमदार है कि यह कंगना की अब तक की टॉप 3 परफॉर्मेंस में गिनी जा सकती है।
- इमोशनल सीन्स (Emotional Scenes):
- इंदिरा गांधी के पर्सनल बैटल्स जैसे खुद को शीशे में देखकर गुनहगार समझना, दर्शकों को इमोशनल करता है।
- पहले और बाद की मानसिकता:
- फिल्म में कंगना ने इंदिरा गांधी के दो अलग-अलग पहलुओं को बखूबी दिखाया है:
- पहला हाफ: जब वह प्रधानमंत्री नहीं थीं, उनकी झिझक और डर साफ झलकता है।
- दूसरा हाफ: प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका आत्मविश्वास (Confidence) और एग्रेसिव नेचर (Aggressive Nature) उभरकर सामने आता है।
- फिल्म में कंगना ने इंदिरा गांधी के दो अलग-अलग पहलुओं को बखूबी दिखाया है:
कमियां:
हालांकि कंगना का अभिनय दमदार है, लेकिन उनका मेकअप जॉब कहीं-कहीं खटकता है।
- नाक का प्रोस्थेटिक (Prosthetic):
- फिल्म में उनका नकली नाक अजीब लगता है, जो कभी-कभी उनके किरदार को वास्तविकता से दूर कर देता है।
फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन (Screenplay and Direction)
स्क्रीनप्ले (Screenplay):
फिल्म का स्क्रीनप्ले टाइट है और कहानी तेज रफ्तार से आगे बढ़ती है।
- पॉजिटिव:
- कहानी में इमोशंस और पॉलिटिकल इवेंट्स का अच्छा बैलेंस रखा गया है।
- इंदिरा गांधी की छवि को न तो वाइट वॉश किया गया है और न ही खराब दिखाने की कोशिश की गई है।
- निगेटिव:
- कुछ इवेंट्स को बहुत जल्दी दिखाया गया है, जिससे स्क्रीनप्ले रश्ड (Rushed) लगता है।
- सेंसर बोर्ड की वजह से कुछ सीन कट हो सकते हैं, जिससे कहानी अधूरी लगती है।
डायरेक्शन (Direction):
फिल्म को कंगना ने डायरेक्ट किया है।
- पॉजिटिव:
- कंगना ने कहानी को काफी हद तक अच्छे से संभाला है।
- इमोशनल सीन्स और पॉलिटिकल ड्रामा को संतुलित रखा है।
- निगेटिव:
- कहीं-कहीं डायरेक्शन एमेच्योरिश (Amateurish) लगता है। अगर किसी अनुभवी डायरेक्टर ने यह फिल्म बनाई होती, तो इसका इम्पैक्ट तीन गुना होता।
सपोर्टिंग कास्ट (Supporting Cast)
फिल्म में कई दमदार सपोर्टिंग किरदार हैं, जैसे:
- अनुपम खेर:
- जयप्रकाश नारायण के रोल में उन्होंने शानदार काम किया है।
- महिमा चौधरी:
- पुपुल जयकर के किरदार में उनका काम सराहनीय है।
- विशाख नायर:
- संजय गांधी के किरदार में उन्होंने अच्छा योगदान दिया है।
- मिलिंद सोमन और अन्य:
- सभी सपोर्टिंग एक्टर्स ने अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।
फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर (Music and Background Score)
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर (Background Score) स्क्रीनप्ले के साथ मेल खाता है और कहानी को बेहतर बनाता है। लेकिन फिल्म में कुछ गाने बेहद अननेसेसरी (Unnecessary) लगते हैं।
- वॉर टाइम पर पॉलिटिशियंस को गाते हुए दिखाना बेहद क्रिंज (Cringe) लगता है।

फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी (Production Quality)
फिल्म का बजट केवल ₹25-30 करोड़ था।
- प्रोडक्शन क्वालिटी औसत है।
- ग्रैंड सेट्स और इफेक्ट्स की कमी साफ झलकती है।
फिल्म की कमजोर कड़ियां (Weak Points)
- रश्ड स्क्रीनप्ले:
- कुछ इवेंट्स को जल्दी निपटाया गया।
- मेकअप:
- कंगना के मेकअप ने किरदार की प्रामाणिकता (Authenticity) को थोड़ा कमजोर किया।
- अनावश्यक गाने:
- कुछ गाने कहानी के प्रवाह को बाधित करते हैं।
क्या आपको “EMERGENCY” देखनी चाहिए?
फिल्म पूरी तरह से परफेक्ट नहीं है, लेकिन यह एक ईमानदार प्रयास (Honest Attempt) है।
- देखने के कारण (Reasons to Watch):
- कंगना की दमदार परफॉर्मेंस।
- इंदिरा गांधी की कहानी का संतुलित चित्रण।
- पॉलिटिकल ड्रामा और इमोशंस का बेहतरीन मिश्रण।
- क्यों न देखें (Reasons to Skip):
- अगर आप कंगना की पॉलिटिकल इमेज से प्रभावित हैं, तो शायद आप इसे पसंद न करें।
- प्रोडक्शन क्वालिटी और मेकअप आपको निराश कर सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
“EMERGENCY” कंगना रनौत का एक साहसिक प्रयास है। यह फिल्म उनके अभिनय क्षमता का एक और उदाहरण है। हालांकि फिल्म में कुछ खामियां हैं, लेकिन यह निश्चित रूप से देखने लायक है।
यह फिल्म सिर्फ आपातकाल पर आधारित नहीं है, बल्कि इंदिरा गांधी के जीवन के उतार-चढ़ाव की कहानी है। अगर आप पॉलिटिकल ड्रामा पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए है।
रेटिंग: ⭐⭐⭐✨ (3.5/5)
कहानी: मजबूत
अभिनय: बेहतरीन
डायरेक्शन: औसत
अगर आप इसे थिएटर में देख सकते हैं, तो इसे बड़े स्क्रीन पर देखने का अनुभव जरूर लें।
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