CJI संजीव खन्ना का बड़ा कदम: चंद्रचूड़ के फैसलों में बदलाव और जस्टिस शेखर यादव का मामला

दिनांक: 19 जनवरी 2025

सुप्रीम कोर्ट में बदलाव की लहर तेज हो गई है। पूर्व CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद नए CJI संजीव खन्ना ने कोर्ट की कार्यशैली में कई अहम फैसले लिए हैं। उनकी सख्त और निष्पक्ष शैली ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली को नया मोड़ दिया है। एक ओर जहां उन्होंने चंद्रचूड़ द्वारा बनाए गए कुछ नियमों में बदलाव किए, वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के विवादित बयानों पर भी कड़ा रुख अपनाया।

इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे CJI संजीव खन्ना ने चंद्रचूड़ के फैसलों को पलटते हुए नई व्यवस्थाएं लागू कीं और क्यों जस्टिस शेखर यादव का मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।


CJI संजीव खन्ना के फैसलों का प्रभाव

नए चीफ जस्टिस बनने के बाद से ही संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के कई पुराने फैसलों और प्रक्रियाओं में बदलाव किए हैं। इनमें से कुछ अहम बदलाव इस प्रकार हैं:

  1. केस लिस्टिंग प्रणाली में बदलाव:
    चंद्रचूड़ के कार्यकाल में केस लिस्टिंग को लेकर जो विवाद थे, उन पर CJI खन्ना ने नए नियम लागू किए। अब केसों की प्राथमिकता और लिस्टिंग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बनाए गए हैं।
  2. रोस्टर प्रणाली में सुधार:
    रोस्टर सिस्टम में भी बदलाव करते हुए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सुनवाई का काम पारदर्शी और प्रभावी हो।
  3. पूजा स्थल विधेयक पर सुनवाई:
    चंद्रचूड़ ने जहां इस मामले में सुनवाई से इंकार कर दिया था, वहीं CJI खन्ना ने इसे प्राथमिकता देते हुए सुनवाई शुरू कर दी।
  4. महिलाओं के लिए नई शिकायत समिति का गठन:
    सुप्रीम कोर्ट परिसर में यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए नई “जेंडर सेंसिटाइजेशन एंड इंटरनल कंप्लेंट्स कमेटी” बनाई गई। इस समिति की अध्यक्षता जस्टिस बी. वी. नागरत्ना को सौंपी गई है।

चंद्रचूड़ के फैसलों में बदलाव की वजह

CJI खन्ना द्वारा किए गए बदलावों को उनके सख्त और निष्पक्ष रुख का प्रतीक माना जा रहा है। पूर्व CJI चंद्रचूड़ पर आरोप लगते रहे थे कि उनके कई फैसले केंद्र सरकार के पक्ष में थे। लोकसभा चुनाव के बाद चंद्रचूड़ के कुछ फैसलों को लेकर विपक्ष ने उन पर गंभीर सवाल उठाए थे।

CJI खन्ना के कार्यभार संभालने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी जा रही है।


जस्टिस शेखर यादव का विवादित बयान

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय पर विवादित बयान दिया। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का समर्थन करते हुए मुस्लिम समुदाय को “कटम” जैसे आपत्तिजनक शब्दों से संबोधित किया। यह बयान सुप्रीम कोर्ट के जज के पद की गरिमा के खिलाफ माना गया।

क्या था विवादित बयान?

जस्टिस यादव ने कहा,

“हिंदुस्तान में कानून बहुसंख्यक समुदाय के अनुसार चलता है। कटम जैसे लोग देश के लिए घातक हैं और जनता को भड़काने वाले हैं।”

उनके इस बयान को असंवैधानिक और पद की शपथ के खिलाफ माना गया।


CJI खन्ना का कड़ा रुख

इस मामले में CJI संजीव खन्ना ने त्वरित कार्रवाई की। जस्टिस यादव को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सामने तलब किया गया। 45 मिनट तक चली सुनवाई में जस्टिस यादव से जवाब मांगा गया, लेकिन उनकी सफाई से कॉलेजियम संतुष्ट नहीं हुआ।

वरिष्ठ वकीलों का पत्र

13 वरिष्ठ वकीलों ने CJI खन्ना को पत्र लिखकर जस्टिस यादव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि:

  • जस्टिस यादव का बयान संविधान और न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ है।
  • उनके खिलाफ CBI जांच होनी चाहिए।

महाभियोग की संभावनाएं

जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग की चर्चा तेज हो गई है।

  • राज्यसभा के 55 सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया है।
  • अगर नोटिस स्वीकार किया जाता है, तो यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार होगा।

हालांकि, महाभियोग प्रक्रिया लंबी और जटिल है। यह देखना होगा कि CJI खन्ना इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

CJI संजीव खन्ना का बड़ा कदम

महिला शिकायत समिति का पुनर्गठन

CJI खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के लिए नई समिति बनाई है।

  • अध्यक्ष: जस्टिस बी. वी. नागरत्ना
  • सदस्य सचिव: सुजाता सिंह
  • अन्य सदस्य: वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी, बांसुरी स्वराज, और कई अन्य विशेषज्ञ।

यह समिति महिलाओं की शिकायतों के निपटारे में अधिक प्रभावी और पारदर्शी होगी।


CJI खन्ना की कार्यशैली की सराहना

नए CJI खन्ना के फैसले न्यायपालिका में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

  • उनके फैसलों से सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता और पारदर्शिता बढ़ी है।
  • महिला सुरक्षा और लैंगिक संवेदनशीलता पर जोर दिया गया है।

निष्कर्ष

CJI संजीव खन्ना ने अपनी सख्त और निष्पक्ष कार्यशैली से न्यायपालिका में एक नई उम्मीद जगाई है। चंद्रचूड़ के फैसलों में बदलाव से लेकर जस्टिस शेखर यादव के मामले तक, उन्होंने हर पहलू पर त्वरित और मजबूत कदम उठाए हैं।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट के ये फैसले न्यायपालिका की छवि और कार्यप्रणाली को कैसे प्रभावित करते हैं।

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